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Monday, August 1, 2011

टीम इंडिया की शर्मनाक हार के ये 7 प्रमुख कारण रहे

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नई दिल्ली। नाटिंघम में भारत को इंग्लैंड के हाथों 319 रनों की करारी शिकस्त मिली है। इस हार के साथ ही भारत सीरीज में 2-0 से पीछे हो गया है। टीम इंडिया ने पूरे मैच के दौरान कहीं भी नंबर 1 टीम की तरह खेल का प्रदर्शन नहीं किया। पहली पारी में राहुल द्रविड़ ही एक मात्र ऐसे भारतीय बल्लेबाज रहे, जिन्होंने शतक लगाकार टीम इंडिया को बचाने की कोशिश की, लेकिन वे कामयाब नहीं हो पाए। इस मैच में टीम इंडिया के हार के कई कारण हैं, जिनमें 7 प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।
1. इंग्लैंड के पुछल्लों को रोक पाने में नाकामयाबी
टीम इंडिया के गेंदबाज इंग्लैंड के पुछल्ले बल्लेबाजों को रोक पाने में नाकामयाब रहे। पहली पारी में इंग्लैंड के 8 विकेट सिर्फ 124 रन पर ही गिर गए, इसके बावजूद इंग्लैंड 221 रन बनाने में कामयाब रही। स्टुअर्ट ब्रॉड ने शानदार 64 रन बनाए और ग्रीम स्वान के साथ मिलकर नौवें विकेट के लिए 73 रन जोड़े। इनकी जोड़ी तोड़ने में टीम इंडिया के गेंदबाज नाकामयाब रहे।

2. पहली पारी में मामूली बढ़त
पहली पारी में टीम इंडिया के 267 रन पर 5 विकेट गिरे थे और द्रविड़ शतक लगाकर क्रीज पर टिके हुए थे। इसके बावजूद टीम इंडिया के अंतिम पांच विकेट सिर्फ 21 रन पर ही गिर गए। भारतीय पुछल्ले बल्लेबाजों ने द्रविड़ के शतक की कद्र नहीं की, जिसके कारण टीम इंडिया को महज 67 रनों की ही बढ़त मिल पाई।

3. दूसरी पारी में बेजान गेंदबाजी
टीम इंडिया ने जब अपनी दूसरी पारी की गेंदबाजी शुरू की, तब उनकी गेंद न तो स्विंग कर रही थी और ना ही उछाल भरी थी। इसके कारण अंग्रेज बल्लेबाजों को खेलने में काफी आसानी हुई। यहां तक कि टिम ब्रेसनन जैसे गेंदबाज भी 90 रन बना लिए। यही नहीं दूसरी पारी में भी इंग्लैंड के पुछल्लों पर भारतीय गेंदबाज काबू नहीं पा सके।

4. धोनी की दरियादिली
मैच के तीसरे दिन जब तीसरे अंपायर ने इयान बेल को रन आउट करार दे दिया, तो धोनी ने ड्रेसिंग रूम का माहौल अच्छा बनाने के लिए अपनी अपील वापस ले ली और बेल के रन आउट को माफ करार दे दिया।

5. गैरजिम्मेदराना बल्लेबाजी
478 रनों के विशाल लक्ष्य का पीछा करने उतरे टीम इंडिया के बल्लेबाजों ने गैरजिम्मेदराना बल्लेबाजी का प्रदर्शन किया। टीम इंडिया के 55 रन पर ही 6 विकट गिर चुके थे। ऐसे में टीम इंडिया की हार उसी समय तय हो गई थी। टीम इंडिया के बल्लेबाजों ने जिस तरह की बल्लेबाजी की, वैसे साफ लग रहा था कि वे पहले ही हार मान चुके हैं।

6. स्विंग का सामना करने में अक्षम
भारतीय बल्लेबाजों को दोनों पारियों में स्विंग होती गेंदबाजी समझ में ही नहीं आ रही थी। द्रविड़ को छोड़ दें, तो कोई भी बल्लेबाज पूरे विश्वास के साथ किसी अंग्रेज गेंदबाज को खेल पाने में सक्षम नहीं था। लक्ष्मण, युवराज और तेंडुलकर ने जरूर अर्धशतक लगाया, लेकिन वो टीम इंडिया की लाज को बचाने के लिए काफी नहीं था।

7. टॉस की भूमिका
वैसे तो इस टेस्ट को हारने में पूरी तरह से टीम इंडिया के खिलाड़ियों को गैरजिम्मेदराना प्रदर्शन ही है। इसके बावजूद टॉस की भी कहीं-न-कहीं थोड़ी भूमिका है। आंकड़ों के मुताबिक टेंट ब्रिज की बात करें, तो पूरे इंग्लैंड के मैदानों में इस मैदान पर चौथी पारी में बल्लेबाजी का स्कोर सबसे कम रहा है। टॉस जीतकर धोनी द्वारा पहले गेंदबाजी का फैसला भी सवालों के घेरे में है।

आपकी राय
आपके अनुसार टीम इंडिया की इस शर्मनाक हार के और कौन-कौन से कारण हैं? अपनी राय शेयर करें।
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कीमतें नियंत्रणमुक्त करने की तैयारी : डीजल व एलपीजी भी होंगे और महंगे

नई दिल्ली वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने रविवार को कहा कि सरकार डीजल और एलपीजी गैस की कीमत को नियंत्रण मुक्त करने को लेकर गंभीर हैं, लेकिन गरीबों को सस्ती दर पर केरोसिन मिलना जारी रहेगा। यदि ऐसा हुआ तो पेट्रोल के बाद डीजल और एलपीजी गैस की कीमत भी बाजार तय करेगा। इससे यह दोनों पेट्रोलियम उत्पाद और महंगे हो जाएंगे।

सरकार को हो रहा नुकसान : पेट्रोल की कीमत नियंत्रणमुक्त है। सरकार डीजल, केरोसिन तथा एलपीजी लागत से कम मूल्य पर बेचने के कारण तेल कंपनियों को नुकसान की भरपाई प्रत्यक्ष या परोक्ष तरीके से सब्सिडी या तेल बांड के जरिए करती है।

कच्चे तेल की कीमत बढ़ी : वित्त मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत जुलाई में बढ़कर 116-118 डॉलर बैरल हो गई। जून में यह 110 डॉलर बैरल थी। इसका असर भारत पर पड़ेगा। हम अपनी तीन-चौथाई जरूरतों को आयात से पूरा करते हैं। सरकार ईंधन तथा उर्वरक सब्सिडी पर हर साल करीब 73,637 करोड़ रुपए खर्च करती है।


अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ेंगे कीमतें

हमने पेट्रोल को नियंत्रण मुक्त किया है। डीजल, केरोसिन तथा एलपीजी में भी हम यह करना चाहते हैं। लेकिन केरोसिन पर हम कुछ सब्सिडी देना जारी रख सकते हैं। सरकार घरेलू पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ना चाहती है।

-प्रणब मुखर्जी, वित्तमंत्री